Barsat Me Sabji Ki Kheti: बरसात में करें इस सब्जी की खेती, 60 दिन में पाएं शानदार मुनाफा

Barsat Me Sabji Ki Kheti: तोरई की खेती बरसात के मौसम में खासतौर पर फायदेमंद मानी जाती है। यह एक नगदी फसल है, जिसे बाजार में हमेशा मांग रहती है। मात्र 60 दिनों में यह फसल तैयार हो जाती है, और प्रति हेक्टेयर 150 किलो तक पैदावार होने की संभावना रहती है।

60 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है फसल

बिहार और उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में तोरई की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। यह विशेष रूप से गर्मियों में एक पसंदीदा सब्जी है। विशेषज्ञों के अनुसार, तोरई की खेती मार्च और अप्रैल के अलावा बरसात के मौसम में भी की जा सकती है। इस सब्जी की फसल सिर्फ 60 से 70 दिनों में तैयार हो जाती है, जिससे किसान जल्दी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। हम यहां तोरई की खेती और उच्च पैदावार देने वाली कुछ प्रमुख किस्मों के बारे में जानकारी देंगे। Barsat Me Sabji Ki Kheti

बाजार में हमेशा रहती है डिमांड

मझौलिया के निवासी कृषक रविकांत बताते हैं कि वे पिछले बीस वर्षों से तोरई की खेती कर रहे हैं, और यह एक नगदी फसल है जिसकी बाजार में हमेशा डिमांड बनी रहती है। यदि कोई किसान इस फसल की खेती करना चाहता है, तो उसे सबसे पहले सही किस्मों का चयन करना चाहिए। कुछ प्रमुख किस्मों में पूसा चिकनी, पूसा स्नेहा, पूसा सुप्रिया, और काशी दिव्या शामिल हैं।

खेत की तैयारी और पानी का निकास

तोरई की खेती के लिए खेत की अच्छी तैयारी आवश्यक है। शुरुआत में मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करें, फिर 2-3 बार हैरो या कल्टीवेटर से जुताई करके खेत को समतल करें और मिट्टी में गोबर की खाद डालें। इसके लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है, जिसमें पानी का अच्छा निकास हो। बुवाई के लिए नाली विधि और बेलों को ऊपर चढ़ाने के लिए मचान विधि का उपयोग करना चाहिए, जिससे पैदावार बढ़ती है। Barsat Me Sabji Ki Kheti

ध्यान रखने योग्य बातें

रविकांत के अनुसार, बुवाई के 60-70 दिनों में तोरई की फसल हार्वेस्टिंग के लिए तैयार हो जाती है। फलन के 6-7 दिनों के अंदर इन्हें मुलायम अवस्था में ही तोड़ लेना चाहिए। कीटों से बचाव के लिए उचित कीटनाशक का प्रयोग किया जा सकता है। सही देखभाल और वातावरण में, प्रति हेक्टेयर 150 क्विंटल से अधिक पैदावार हासिल की जा सकती है।

बीज का छिड़काव और उपयुक्त तापमान

तोरई की खेती के लिए 32-38 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उपयुक्त माना जाता है। यह लगभग सभी प्रकार की मिट्टियों में उगाई जा सकती है, लेकिन बेहतर उपज के लिए बलुई दोमट या दोमट मिट्टी ज्यादा उपयुक्त है। बुआई के लिए प्रति हेक्टेयर 3 से 5 किलोग्राम बीज का उपयोग करना चाहिए।

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